आलोक वर्मा की CBI निदेशक पद पर बहाली, जांच पूरी होने तक कोई नीतिगत फैसला नहीं ले सकेंगे…

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मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ ने वर्मा को सीबीआई निदेशक का कार्य पुन: सौंपने का आदेश दिया। पीठ ने हालांकि वर्मा को फिलहाल नीतिगत फैसलों से दूर रहने का आदेश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने एम नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम प्रमुख के तौर पर नियुक्ति रद्द कर दी।

पीठ की ओर से मुख्य न्यायाधीश ने फैसला लिखा था, लेकिन आज अवकाश पर रहने के कारण पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति कौल ने कोर्ट नं एक के बजाय 12 में फैसला पढ़कर सुनाया।

कोर्ट ने यह मामला चयन समिति को भेज दिया है। चयन समिति के फैसला लेने तक वर्मा कोई पॉलिसी निर्णय नहीं ले सकेंगे। वे सिर्फ पहले से चल रहे मामलों कि निगरानी करेंगे।

इससे पहले निदेशक आलोक कुमार वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग सार्वजनिक होने के बाद सरकार ने पिछले साल 23 अक्तूबर को दोनों अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेजने का निर्णय किया था। दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।

इसके साथ ही संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को जांच एजेंसी के निदेशक का अस्थाई कार्यभार सौंप दिया था। वर्मा का सीबीआई निदेशक के रूप में दो साल का कार्यकाल 31 जनवरी को पूरा हो रहा है।

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