
दलित राजधानी आगरा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का चुनावी शंखनाद विपक्षी दलों के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) को लेकर भाजपा के इस मास्टर स्ट्रोक से बसपा (BSP) और सपा (SP) खेमों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है। बसपा इस क्षेत्र में कई बार बड़े उलटफेर कर चुकी है।
अब तक बसपा सबसे पहले चुनाव की तैयारियां शुरू कर रैलियों की घोषणा किया करती थी। इस बार भाजपा ने बाजी मार ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से मिशन 2019 की दौड़ में अन्य दलों को पीछे छोड़ने की रणनीति तैयार की गई है। मोदी 2014 के आम चुनाव से पूर्व नवंबर 2013 में कोठी मीना बाजार में चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं। तब उनकी रैली को विजय शंखनाद नाम दिया गया था। इस रैली का भाजपा को फायदा मिला।
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ब्रज में भाजपा ने 10 सीटें जीत लीं। जबकि 2009 में पार्टी के पास पांच सीटें ही थीं। 2014 में सपा फिरोजाबाद, मैनपुरी और बदायूं सीट ही जीत पाई थी। जबकि बसपा का खाता तक नहीं खुल पाया था। जबकि 2009 में बसपा के पास तीन सीटें थीं। 2009 में फतेहपुरसीकरी सीट बसपा के खाते में गई थी। मोदी की विजय शंखनाद रैली का असर ऐसा रहा है कि 2014 में भाजपा ने ये सीट बसपा से छीन ली। 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा के पास जिले की नौ में से छह सीटें थीं। 2017 में भाजपा ने सभी नौ सीटों पर कब्जा जमा लिया।
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मोदी की रैली इसलिए भी अहम मानी जा रही है, क्योंकि पिछले साल एससीएसटी एक्ट को लेकर जिले में कई जगह आंदोलन हुए थे। ये इलाका दलित राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। बसपा सुप्रीमो हर चुनाव में एक सभा यहां करने आती हैं। ऐसे में बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए अभी से ही भाजपा ने तुरुप का इक्का चल दिया है। आगरा में होने वाली चुनावी रैलियों का संदेश पूरे ब्रज में पड़ता है। यहां सपा का भी खासा दखल है। इस स्थिति में मोदी की रैली भाजपा का अन्य दलों के पर मिशन 2019 का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।
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ब्रज की तस्वीर
कुल सीटें – 13
भाजपा – 10
सपा – 03
बसपा – 00
कांग्रेस – 00
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सपा के लिए भी ताजनगरी रही है शुभ
सपा के लिए भी ताजनगरी शुभ रही है। पार्टी ने यहां चार बार राष्ट्रीय अधिवेशन किए। वर्ष 2002 और 2011 में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद पार्टी ने प्रदेश में सरकार बनाई थी।.