मयंक अग्रवाल की ‘इस पारी’ के बाद से सब कुछ बदल गया

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आखिरकार मयंक अग्रवाल (Mayank Agarwal) के इंतजार का लंबा सूखा खत्म हो गया. कर्नाटक का यह सलामी बल्लेबाज रणजी ट्रॉफी में पिछले दो साल से लगातार रन बरसा रहा है, लेकिन हर बार चयनकर्ता कुछ न कुछ कहकर उनकी अनदेखी कर रहे थे. और जब जारी ऑस्ट्रेलिया दौरे में दोनों छोरों पर हवा निकल गई, तब जाकर टीम मैनेजमेंट ने मयंक अग्रवाल को मेलबर्न (Melbourne Cricket Ground, Melbourne) में बॉक्सिंग-डे पर शुरू हो रहे तीसरे मुकाबले (AUS vs IND, 3rd Test) में टेस्ट कैप देने का फैसला किया.

इसे पहले मयंक अग्रवाल को विंडीज के खिलाफ सीरीज में टीम में चुना गया था, लेकिन उन्हें इलेवन का हिस्सा नहीं बनाया गया. तब पृथ्वी शॉ को मौका मिला. और अब जब पृथ्वी चोटिल हो गए. और केएल राहुल और मुरली विजय भी एकदम फ्लॉप हो गए, तो यह साफ हो गया कि मयंक अग्रवाल की अनदेखी करना अब बहुत ही मुश्किल होगा.

मयंक अग्रवाल ने करीब पांच साल साल 2013 में अपने प्रथण श्रेणी करियर का आगाज किया था. शुरुआती साल मयंक का प्रदर्शन औसत रहा, लेकिन वह टीम में जगह बनाने लायक प्रदर्शन करते रहे. उनके करियर में एकदम से बदलाव आया साल 2017 के घरेलू सेशन में. इस सेशन की शुरुआती छह पारियों में मयंक के बल्ले से महज 94 रन ही निकल सके थे. इसमें हैदराबाद के खिलाफ दोनों पारियों में बनाया गया शून्य भी शामिल है. लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि यहां से सबकुछ बदल गया. और मयंक अग्रवाल ने मुड़कर ही नहीं देखा.

साल 2017 में हैदराबाद के खिलाफ दोनों पारियों में शून्य बनाने के बाद ठीक अगले ही मुकाबले में महाराष्ट्र के खिलाफ मयंक अग्रवाल ने 304 की नाबाद पारी खेली. और इसके बाद से मयंक के रनों का ग्राफ मानों सूचकांक की तरह  लगातार ऊपर ही चढ़ता गया. इस मैच के बाद से मयंक ने खेली 75 पारियों में 56.40 के औसत से 4005 रन बनाए हैं. इसमें 13 शतक और 16 अर्धशतक शामिल हैं. इन पारियों में प्रथम श्रेणी के चारदिनी मैच और वनडे मुकाबले दोनों शामिल हैं.

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