मॉल, होटल-रेस्तरां में सेल या भारी छूट के लालच में अक्सर हम डेबिट-क्रेडिट कार्ड के जरिये जरूरत से ज्यादा शॉपिंग कर लेते हैं और कर्ज के भंवर में फंस जाते हैं। कमाई और खर्च में संतुलन न बिठा पाने की इस मुश्किल का हल ब्रिटेन के बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक बारक्लेस ने खोज निकाला है। बैंक ने अपने एप पर ग्राहकों की ऐसी सुविधा दी है, जो कपड़ों, किराने के सामान के साथ बार-पब में फिजूलखर्ची से आपको रोकेगी।
ऑनलाइन फाइनेंस एंड क्रेडिट प्लेटफार्म क्रेडिट सुधार के निदेशक अरुण राममूर्ति का कहना है कि अक्सर बैंक ग्राहकों को ज्यादा खरीदारी को प्रोत्साहित करते हैं, लेकिन ग्राहकों को कर्ज के चंगुल से बचाना बेहतरीन कदम है। भारत जैसे बड़े और तेजी से बढ़ते बाजार में ऐसा फीचर बड़ा कारगर हो सकता है, क्योंकि भारत में लोगों की जीवनशैली और खर्च पैटर्न में बड़ा बदलाव आ रहा है।
एप पर नया फीचर
बैंक ने एप पर नया फीचर दिया है, जिससे ग्राहक डेबिट कार्ड पर किराना, कपड़े, गैजेट जैसे कुछ सामानों की खरीद के लिए एक निश्चित धनराशि की सीमा तय कर सकेंगे। मान लीजिए, अगर कपड़े पर चार हजार रुपये की सीमा तय है तो उससे ज्यादा की खरीद आप डेबिट कार्ड से नहीं कर पाएंगे। यह बताएगा कि खरीदारी आपके बजट से बाहर हो रही है। आप एप की सेटिंग्स में बदलाव कर ही ज्यादा सामान खरीद पाएंगे। बारक्लेस ऐसा पहला बैंक है, जिसने ग्राहकों को ऐसी सुविधा दी है।
बैंक शाखाओं में विशेष काउण्टर खोलकर बदले जाएंगे एटीएम कार्ड
इसलिए जरूरत पड़ी
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक विशाल धवन का कहना है कि नगदी की बजाय इलेक्ट्रानिक तरीके से खरीदारी में झंझट नहीं है और कुछ ही मिनटों में पैसा हाथ से निकल जाता है और हम बाद कमाई और खर्च का गणित लगाते रह जाते हैं। देश में एक अरब से ज्यादा डेबिट और क्रेडिट कार्ड होने से ऑनलाइन खरीदारी भी तेजी से बढ़ी है, ऐसे में बजट पर कहीं तो अंकुश जरूरी है।
किसी भी प्रकार के मोह या लालच से दूर रहना वैसे तो इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है, लेकिन इस तरह का अंकुश ग्राहकों को सावधान करता है और काफी हद तक फिजूलखर्ची को टाल सकता है।
अरुण राममूर्ति, निदेशक क्रेडिट सुधार
ऐसे करेगा काम
– उपभोक्ता बैंक का एप डाउनलोड करें
– एप पर खर्च से जुड़ा ऑन-ऑफ का बटन होगा
– कपड़ा, फूडिंग या अन्य खर्च को ऑफ कर दें
– किसी विशेष ब्रांड या रिटेलर को ब्लॉक नहीं कर पाएंगे
– बैंक की शाखा जाकर भी फीचर एक्टिवेट करा दें
– ब्लॉक किया तो उस श्रेणी में भुगतान नहीं हो पाएगा
परिवारों पर कर्ज का बढ़ता बोझ
(जीडीपी के अनुपात में)
2013 : 8.4%
2014 : 9.1%
2015 : 9.4%
2016 : 9.73%
2017 : 10.24%
(स्रोत : सीईआईसी डाटा सितंबर 2018 का)
233 अरब डॉलर हुआ परिवारों का कर्ज जीडीपी के मुकाबले
सुविधाओं की सौगात
– चेहरा पहचानने की तकनीक से लैस कई बैंकों के एप
– एप से कार्ड या कोई लेनदेन ब्लॉक करने की सुविधा
– किसी भी खरीद को ईएमआई में बदलने का विकल्प
– चैटबोट से तुरंत बात कर बैंकिंग समस्याओं का हल