नकसान का मामला विधानसभा में गूंजा…..

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रायपुर – बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को हुए नकसान का मामला विधानसभा में गूंजा। विपक्ष के विधायकों ने इससे भंडारित धान और साद सब्जी की फसलें बर्बाद होने की जानकारी देते हुए सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया। बताया गया है कि प्रदेश में करीब 4 लाख हेक्टेयर में चने की फसल को नुकसान हुआ है वहीं करोड़ों की बागवानी फसले बर्बाद हुई है। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि से प्रभावित किसानों को 15 दिन के भीतर उनके खराब फसलों का आंकलन कर उन्हें क्षतिपूर्ति प्रदान कर दी जाएगी। इसके लिए सरकार ने कलेक्टरों को 152 करोड़ रुपए दिए गए हैं। अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के साथ है , किसी भी शर्त में सरकार किसानों का नुकसान नहीं होने देगी। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने भी बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रभावित जिलों के अलावा सभी जिला कलेक्टरों को मौसम की मार से खराब फसलों के आंकलन कर रिपोर्ट सबमिट करने के निर्देश दिए गए हैं। उद्यानिकी फसलों के लिए मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू है। इसमें केला, पपीता, मिर्च, टमाटर, बैगन, पत्ता गोभी और आलू की फसल को हुए नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान किया गया है। सरकार ने बीमा के लिए बजाज एलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी को इसके लिए अधिकृत किया है। किसान 72 घंटे के भीतर बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर 1800-209-5858 पर सूचना अवश्य दे दें। बीमा कंपनी नुकसान का आंकलन करने के 15 दिन के भीतर किसानों को क्षति पूर्ति की राशि दे देगी। जनवरी-फरवरी में इतनी बारिश कभी नहीं हुई। रिकार्ड बताते हैं कि पिछले दो महीने में पश्चिमी विक्षोभ के साथ ही अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में लगातार हचलच रही, जिसका असर यहां नजर आया। मैं फरवरी में 2013 से रायपुर मौसम विभाग में पदस्थ। इस बार जिस साइज के ओले गिरे, पहले नहीं देखे। दरअसल पिछले एक साल के मौसम को देखें तो छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश में एक्सट्रीम वेदर कंडीशन है। गुजरात में 140 प्रतिशत और राजस्थान में 180 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। ठंड पड़ी तो हिमाचल प्रदेश के कई शहरों में पहाड़ जैसे जम गए। हमारे बलरामपुर और रामानुजगंज में पारा 1 डिग्री से नीचे चला गया। व्यापक ओलावृष्टि हुई। सालभर का रिकार्ड बताता है कि रायपुर में 1200 मिलीमीटर बारिश होती है। उतनी ही हुई, लेकिन दिन घट गए। कम समय में पानी तेजी से गिरा, जैसे-रायपुर में एक ही दिन में 18 सेमी और बीजापुर में 22 सेमी। तापमान के उतार-चढ़ाव में तेजी का यह असर है। इस बदलाव का असर ये होगा कि मार्च से लेकर जून तक आने वाले चार महीनों की गर्मी में लू के दिनों की संख्या इस साल बढ़ सकती है। क्लाइमेट चेंज के कारण ही एक्सट्रीम वेदर कंडीशन हैं। इसका मतलब ये है कि मात्रा नहीं घट रही है, तीव्रता बढ़ रही है। यानी अगर किसी दिन गर्मी पड़ी तो ऐसी पड़ेगी कि सारे रिकार्ड तोड़ देगी। पश्चिमी विक्षोभ की वजह से अरब सागर में हलचल होने के बाद नम हवा का रुख छत्तीसगढ़ की तरफ हुआ है। 3 फरवरी को भी रायपुर में पानी गिरा था, लेकिन तब द्रोणिका नहीं बनी थी। 24 फरवरी को जो बारिश हुई, उसमें द्रोणिका बनी। इसके असर से दक्षिण से गर्म और नमीयुक्त हवा आई। मौसम विज्ञान की भाषा में इसे साइक्लोनिक हिल स्टॉर्म कहते हैं। 7.5 से 9.5 किमी की उंचाई पर बादल बने हुए थे। उंचाई बहुत अधिक होने से बूंदें ठंडी हुईं और नीचे |बारिश के साथ बड़े ओले एक्सट्रीम इवेंट की श्रेणी में हैं। मौसम में यह अप्रत्याशित बदलाव है, जिससे फसलों को नुकसान होता है। दलहन वाली फसलें जैसे चना, मसूर, तिवरा और अरहर जो कटने की अवस्था में हैं, या कट रही हैं, उसे नुकसान हुआ है। बारिश की वजह से ही फसल को 50 फीसदी तक नुकसान हो चुका है। जहां ओले गिरे हैं, वहां नुकसान और भी ज्यादा है। टमाटर और फूलगोभी की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। बारिश और ओले से उत्पादन ही नहीं, क्वालिटी भी बुरी तरह प्रभावित होने वाली है। ओलों ने पपीते और केले की फसल भी तबाह कर दी है। यही नहीं, बारिश और ओले से जमीन और वातावरण, दोनों में अप्रत्याशित नमी है। इसलिए आने वाले दिनों में कीट प्रकोप हो जाएगा, जो अामतौर से होता नहीं है। गेंहू और गर्मी की धान को लाभ होने की संभावना है। उद्यानिकी में जहां आम के बौर आए वहां नुकसान हुआ है। लेकिन अभी राज्य में आम की कुछ ही किस्मों में बौर आए होंगे, इसलिए ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। राज्य में बहुतायत रूप से होने वाले आम में बौर कुछ दिन बाद आएंगे। नुकसान से बचने के लिए किसानों बीमा क्लेम की कार्रवाई जल्दी करनी चाहिए। भारत मौसम विभाग नई दिल्ली का पूर्वानुमान है कि इस साल पिछली बार व पिछले दशकों की तुलना में गर्मी ज्यादा पड़ेगी। अभी बारिश हुई है और जल्दी ही गर्मी बढ़ने लगेगी, इसलिए किसानों को इस लिहाज से तैयारी शुरू करनी चाहिए।