तीन लोगों से हाल में ठगी हुई……..

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सोनीपत – ओएलएक्स पर गाड़ी बेचने के नाम पर सोनीपत की एक युवती सहित तीन लोगों से हाल में ठगी हुई। इनमें सोनीपत के खेल प्रशिक्षक मनोज जांगड़ा भी शामिल रहे। चौकी में मदद के लिए गए तो बोला गया कि बिना सबूत किसे तलाशे। परंतु प्रशिक्षक ने हार नहीं मानी और खुद ही आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाए। आरोपी के आधार कार्ड व आरसी की जांच की। इसके बाद गिरोह तक पहुंचा। अब एक महिला का फोन आया और ठगी की रकम दो दिन बाद दिल्ली मैट्रो स्टेशन पर लौटाकर चली गई। मनोज जागड़ा ने कहा कि उसने 18 दिसंबर 2019 को ओएलएक्स पर एक वेगनार कार देखी थी। उसे गाड़ी अच्छी लगी और बात कर गाड़ी खरीदनी चाही। गाड़ी बेचने वाले ने अपना मोबाइल नंबर दिया। उसने अपना नाम अर्पित बताया। अर्पित ने कहा कि वह आर्मी में कार्यरत है और उसकी पोस्टिंग जैसलमेर में है। गाड़ी दिल्ली नंबर की है। जबकि गाड़ी अब जैसलमेर में है। अर्पित ने गाड़ी की कीमत एक लाख रुपये बताई। 80 हजार रुपये में सौदा तय हो गया। इसके बाद अर्पित ने गाड़ी आर्मी ट्रांसपोर्ट से भेजने की बात कही और चार्ज 5100 रुपये बताया। जबकि इंश्योरेंस खर्च 15 हजार 500 रुपये। उसने 25 दिसंबर का गाड़ी भेजने को कहा। इसके बाद आरोपी ने अपना गूगल पे नंबर भेजा। गूगल पे नंबर पर उसने कुल 21100 रुपये भेज दिए। आरोपी और रकम मांगने लगा तो उसे कुछ गलत होने का अंदेशा हुआ। उसने सौदा केंसिल कर आरोपी को पेमेंट वापिस करने को कहा। परंतु आरोपी ने ना तो गाड़ी दी और ना ही पेमेंट लौटाई। वह धोखाधड़ी के बाद मदद के लिए सिटी थाना के अंतर्गत आने वाली पुलिस चौकी गया तो नहीं मिली। आरोपी ने वाट्सएप पर गाड़ी की जो आरसी व अपना आधार कार्ड भेजा था, उसने उस पते की जांच की। गाड़ी पर दिया गया नंबर जब एम परिवहन एप पर चेक किया तो आधार कार्ड व आरसी का पता एक मिला। उसे शक हुआ कि रुपये ऐंठने वाला व्यक्ति असल पते से यह सब कर रहा है। इसके बाद वह जनकपुरी दिल्ली में दिए पते पर पहुंचा। यहां उसे एक युवक मिला, जिसको उसने अपने साथ हुई ठगी की बात कही तो युवक ने कहा कि भैया नहीं है एक घंटे बाद आना। उसने युवक को अपना मोबाइल नंबर दिया और बात करवाने को बोला। बल्कि एक महिला ने कॉल कर कहा कि वह गाड़ी नहीं बेच रहे हैं और उसे दिल्ली मैट्रो स्टेशन पर बुलाया। वहां वह 21,100 रुपये की राशि नकद देकर चली गई। सिटी थाना प्रभारी सत्यवान का कहना है कि पुलिस कार्रवाई के लिए तत्पर रहती है। प्रशिक्षक के साथ यदि ठगी हुई तो उसे लिखित में शिकायत करनी चाहिए थी। इस तरह से आरोप लगाना गलत है। यदि चौकी में सुनवाई नहीं हुई तो वह थाने में आकर अपनी बात रख सकता था।