चंडीगढ़- प्रदेश में हुए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले की आंच उच्चाधिकारियों तक पहुंचने वाली है। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की ओर से हिसार जोन में हुए 17 करोड़ रुपए घोटाले की जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि इसमें उच्चाधिकारियों की भूमिका होने से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए जांच गहनता से करने की जरूरत है। अभी तक डिप्टी डायरेक्टर स्तर तक अधिकारियों को ही आरोपी माना गया है। विजिलेंस ने सवाल उठाया है कि जब स्कीम 2015-16 से ऑनलाइन हो चुकी है तो विभाग के निदेशालय में इसकी प्रक्रिया अभी तक मेन्युअली क्यों हो रही है। विजिलेंस अधिकारियों की ओर से इस मामले में विभाग की निदेशक से प्रशिक्षण शाखा के बाद आगे का काम मेन्युअली करने के लिए किस अधिकारी ने अनुमति दी और इसके क्या करण थे, लेकिन निदेशक की ओर से कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इसमें अब तक 43 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आ चुका है। इसमें विभाग के अधिकारियों के साथ बाहरी लोग भी शामिल हैं, जो युवाओं से दस्तावेज लेकर उनके खाते खुलवा फर्जी दाखिलों से स्कॉलरशिप में खेल कर रहे हैं, जिन्होंने युवाओं से दस्तावेज लेकर उनके नाम से बैंकों में खाते खुलवाए और दूसरे प्रदेशों की संस्थानों में झूठे दाखिले दिखाकर उनके नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला कर दिया। एससी-बीसी वेलफेयर विभाग के मुख्यालय में ऑनलाइन के बाद मेन्युअली काम चल रहा है। यहीं पर आधार नंबर बदलकर घोटाला किया है। इसमें 7 अधिकारियों और 5 प्राइवेट लोगों के खिलाफ हिसार में एफआईआर दर्ज की गई है। इससे पहले दो एफआईआर रोहतक व पंचकूला में दर्ज हो चुकी हैं। स्कॉलरशिप की स्कीम 2015-16 में ऑनलाइन हो गई थी। इसके तहत जिला कल्याण अधिकारी ऑनलाइन आवेदनों को मुख्यालय भेजते हैं, लेकिन उनकी जिम्मेदारी है कि वे इनकी जांच करे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुख्यालय पहुंचने के बाद एसीएस से स्कॉलरशिप की मंजूरी मिलती है। इसके बाद एक्सल फाइल तैयार होती है। इसमें विद्यार्थियों के आधार नंबर बदल दिए गए। यह नंबर प्रशिक्षण शाखा में मेन्युअल एक्सल फाइल तैयार करते समय बदले और यही फाइल बिल तैयार करने के लिए डीडीओ शाखा में भेजी गई। डीडीओ की ओर से बिल बनाकर खजाना कार्यालय से बिल पास कराकर बैंक में फाइल भेजते समय भी आधार नंबर बदले गए, क्योंकि राशि उन्हीं खातों में जानी थी, जो आधार नंबर से लिंक थे। जिले में 2017-18 में अलग-अलग कोर्सों में डॉ एसएन प्राइवेट आईटीआई बागपत यूपी में दाखिला दिखाकर 36 विद्यार्थियों के नाम जिला कल्याण अधिकारी भिनी के पोर्टल पर ऑनलाइन भेजे गए, जबकि उक्त संस्थान ने मेल से बताया कि इन विद्यार्थियों ने उनके संस्थान में कोई कोस या ट्रेड में दाखिला नहीं लिया। इनके नाम 6 लाख 96 हजार 360 रुपए का गबन किया जाना पाया गया। आरोप है कि तत्कालीन जिला कल्याण अधिकारी विनोद चावला और सुरेश कुमार ने मिलीभगत करके सरकारी पैसे का गबन किया है। इसी प्रकार 2015-16 में 290 विद्यार्थियों के नाम का बैंक की फाइल में मिलान नहीं हुआ। इनकी स्कॉलरशिप एक करोड़ 10 लाख 81 हजार 495 रुपए बनती है। 2016-17 में 227 नामों का बैंक की फाइल से मिलान नहीं हुआ। जिनकी स्कॉलरशिप 99 लाख 57 हजार 167 रुपए बनती है। 2017-18 में 290 विद्यार्थियों के नाम बैंक फाइल से नहीं मिले, जिनकी स्कॉलरशिप एक करोड़ 14 जाख 26 हजार 485 रुपए बनती है। भिवानी में कुल 3 करोड़ 34 लाख 65 हजार 154 रुपए की राशि जिला कल्याण अधिकारी की ओर से भेजी गई सिफारिशों में दर्शाए गए खाता नंबरों व नामों में ट्रांसफर न होकर अन्य खातों में ट्रांसफर होनी पाई गई है।
हिसार जिले में 2015-16 में 74 विद्यार्थियों के नामों का मिलान नहीं हुआ। इनकी स्कॉलरशिप 21 लाख 34 हजार 650 रुपए बनती है। 2016-17 में 501 विद्यार्थियों के नाम बैंक में नहीं मिले। जबकि इनकी एक करोड़ 56 लाख 16 हजार 795 रुपए बनती है। इसी प्रकार 2017-18 में 671 विद्यार्थियों के नाम बैंक से मिली रिस्पांस फाइल में मिलान नहीं हुए। इनकी स्काॅलरशिप 2 करोड़ 85 लाख 97 हजार 237 रुपए बनती है। 2018-19 में 21 विद्यार्थियों के नाम इस फाइल में नहीं मिले। जिनकी स्कॉलरशिप 6 लाख 89 हजार 700 रुपए बनती है। जिले में 2015-16 में 120 छात्रों के नाम और खाता नंबर बैंक की रिस्पांस फाइल से मिलान नहीं हुए। इनकी स्कॉलरशिप 35,65,840 रुपए बनती है। 2016-17 में 150 छात्रों के नाम नहीं मिले, इनकी स्कॉलरशिप 33,60,790 रुपए है। 2017-18 में 280 के नाम बैंक ने भेजे, जिनकी स्कॉलरशिप 93,06,522 रुपए बनती है। जिले में कुल 1,62,33,152 रुपए दर्शाए नामों के बजाय अन्य खातों में ट्रांसफर हुए। भिवानी के गांव खरकखुर्द निवासी तेजपाल, हिसार के अरविंद सांगवान, भिवानी के राजकुमार, नेहरु कॉलोनी निवासी अशोक कुमार पुत्र जगदीश, गांव जेवली बाढड़ा निवासी सुनील कुमार ने 2015-16 से 2017-18 तक फतेहाबाद में 493 विद्यार्थियों के फर्जी बैंक खाते खुलवाए। दाखिले दूसरे राज्याें में दिखाकर जिला कल्याण अधिकारी फतेहाबाद के पोर्टल पर आवेदन भेजा। ब्यूरो ने पड़ताल की तो शिक्षण संस्थानाें ने कहा कि यहां एमपीएचडब्ल्यू और वीएलडीए का कोर्स भी नहीं कराया जाता। इनके नाम पर 5 करोड़ 48 लाख की स्कॉलरशिप जारी हो गई। उक्त आरोपियों ने उप निदेशक अनिल कुमार व राजेंद्र सिंह और जिला कल्याण अधिकारी बलवान सिंह से मिलीभगत कर बिना जांच कराए सिफारिश कराई गई। फतेहाबाद से जिला कल्याण अधिकारी की ओर से 2015-16 में भेजे 314 विद्यार्थियों के नाम और बैंक से प्राप्त रिस्पांस फाइल में आपस में मिलान नहीं हुए। इनकी स्कॉलरशिप एक करोड़ 32 लाख 31 हजार 990 रुपए बनती है। 2016-17 में भेजे गए 517 विद्यार्थियों के नामों का मिलान नहीं हुआ। 3 साल में कुल 7 करोड़ 17 लाख 3 हजार 15 रुपए की स्कॉलरशिप जिला कल्याण अधिकारी की ओर से भेजी गई सिफारिशों नामों के खातों की बजाए अन्य बैंक खातों में ट्रांसफर हुई है।