रायपुर – गैस सिलेंडरों में सब्सिडी की रकम चुपचाप तरीके से हर महीने कम की जा रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि एक साल पहले भी सिलेंडर की कीमत 761 रुपए थी, लेकिन सब्सिडी की रकम 259 रुपए जमा होती थी। इसी तरह नवंबर-दिसंबर 2018 में सिलेंडरों की सब्सिडी 350 रुपए से ज्यादा थी। सिलेंडर की कीमत भी लगभग 800 रुपए थी। अभी दिसंबर में सिलेंडर की कीमत 767 रुपए है, पर सब्सिडी की रकम केवल 208.52 रुपए ही जमा हो रही है। एक साल में सिलेंडर की कीमत तो कम नहीं हुई। पेट्रोलियम कंपनियों के अफसरों का कहना है कि इंटरनेशनल मार्केट में गैस की कीमतें घटने और बढ़ने के असर से ही भारत में इसकी कीमत तय होती है। सिलेंडर की रकम बढ़ती है तो सब्सिडी की रकम कम हो जाती है। फिलहाल अफसर इस बात पर खामोश हैं कि जब सिलेंडर की रकम जस की तस है तो सब्सिडी की रकम कम क्यों की जा रही है। पिछले केंद्रीय बजट में इस बात का भी हल्ला था कि सरकार सिलेंडरों से सब्सिडी की रकम पूरी तरह से कम कर रही है। लेकिन इस अफवाह से ही देशभर में इसका विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद से ही गैस सब्सिडी तो बंद नहीं की गई, लेकिन धीरे-धीरे उसे कम किया जा रहा है। देशभर में करीब 40 लाख लोगों ने सिलेंडरों पर मिलने वाली सब्सिडी की रकम छोड़ दी, लेकिन छत्तीसगढ़ में इनकी संख्या बेहद कम है। सरकारी और निजी एजेंसियों के अनुसार राज्यभर में केवल 10 हजार लोगों ने ही सब्सिडी की रकम छोड़ी है। जो लोग सब्सिडी लेते हैं उन्हें अभी एक साल में 12 सिलेंडर सब्सिडी के साथ मिल रहे हैं। इसके बाद वह सिलेंडर लेते हैं, यानी 13वां सिलेंडर लिया तो उन्हें पूरा भुगतान करना होता है। जो लोग सब्सिडी नहीं लेते उन्हीं पूरी रकम देनी होती है। इसके बाद उनके खाते में सब्सिडी की रकम भी नहीं आती है। रायपुर में ग्राहकों के खातों में सब्सिडी की रकम भी तय समय में नहीं जा रही है। केवल रायपुर जिले में ही 20 हजार से ज्यादा लोगों को अभी भी नियमित रूप से सब्सिडी की रकम नहीं मिल रही है। छत्तीसगढ़ में 20 लाख से ज्यादा एलपीजी ग्राहक हैं। इसमें अकेले रायपुर में ही सबसे ज्यादा 4.50 लाख उपभोक्ता हैं। 42 गैस एजेंसियों से इन लोगों को सिलेंडरों की सप्लाई की जा रही है। सब्सिडी की रकम खाते में नहीं जाने पर लोग एजेंसी वालों से शिकायत करते हैं तो उन्हें एक ही जवाब दिया जाता है कि आधार कार्ड और बैंक पासबुक की फोटो कॉपी फिर से छोड़ दीजिए। लोगों का कहना है कि गैस एजेंसी और बैंकों में कई बार खातों को लिंक कराने के बावजूद उन्हें तय समय में सब्सिडी नहीं मिल रही है। सिलेंडरों की कीमत और उसकी सब्सिडी में गैस एजेंसियों की कोई भूमिका नहीं होती। केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार ही यह सब तय होता है। यह सच है कि सब्सिडी की रकम लगातार कम होती जा रही है।