पीएमसी समेत देश के कई सहकारी बैंकों और एनबीएफसी में लाखों जमाकर्ताओं की गाढ़ी कमाई फंसी हुई है। इस कड़ी में हम बता रहे हैं कि जमा पर कितना बीमा है और कैसे सुरक्षित रखें ज्यादा राशि।
पंजाब एवं महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) का घोटाला सामने आने के बाद बैंकों में आम लोगों की जमा की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। दूसरे बैकों के जमाकर्ता भी इस बात से आशंकित हैं कि उनकी भी सभी जमा पूंजी कहीं डूब न जाए। हालांकि, हकीकत में ऐसा नहीं होता है। बैंक में जमा पर एक लाख रुपये तक की गारंटी मिलती जो बेहद कम है।
वर्तमान समय में वर्ष 1961 में बने बीमा कानून के आधार पर बैंकों में जमा पर गारंटी मिलती है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई दर, पूंजीगत लाभ और अन्य बातों को पैमाना बनाकर पांच से छह फीसदी औसत महंगाई दर को मानक बनाया जाए तो बैंकों में आज की तारीख में एक करोड़ रुपये तक की गारंटी मिलनी चाहिए थी।
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) बैंकों में जमा राशि की एक लाख रुपये की गारंटी लेता है। यह रिजर्व बैंक की एक सहायक इकाई है। हालांकि, बैंक में जमा कुल राशि की सुरक्षा की गारंटी नहीं होती है। बचत खाता, सावधि जमा (एफडी) या चालू खाता किसी में भी जमा इतनी ही राशि तक की गारंटी होती है।
सभी बैंकों में गारंटी नहीं –
डीआईसीजीसी मेघालय, चंडीगढ़, दादर एवं नागर हवेली को छोड़कर देश में स्थित सभी वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों में जमा राशि की गारंटी लेता है। लेकिन वह राज्य सहकारी बैकों में जमा राशि, विदेशी सरकार की जमा राशि या विदेश में प्राप्त होने वाली राशि की गारंटी भी नहीं लेता है।
अलग अलग बैंकों में जमा करें राशि –
वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि एक ही बैंक में ज्यादा राशि रखने की बजाय अलग-अलग बैंकों में राशि जमा करें। इससे आपकी अधिकतम जमा राशि गारंटी के दायरे में आ जाएगी। उदाहरण के लिए यदि किसी एक बैंक में एक या दो खाते में पांच लाख रुपये जमा हंै तो गारंटी एक लाख रुपये की ही होगी। लेकिन पांच बैंकों में एक-एक लाख रुपये जमा होंगे तो पांच लाख रुपये गारंटी के दायरे में आ जाएंगे।