इलाज-देखरेख में लापरवाही……..

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जयपुर –  बायोलॉजिकल पार्क में एक और मौत। सफेद बाघिन ‘सीता’ ने गुरुवार सुबह दम तोड़ दिया। 8 दिन में यह तीसरी मौत है। बायोलॉजिकल पार्क के डॉक्टर और अफसर मौत की वजह समझ नहीं पाए। कहा कि सबकुछ अचानक हो गया। इससे पहले हुई गोल्डन सब एडल्ट बाघिन की मौत पर भी यही राग आलापा था।
बहरहाल इस मौत के बाद अब महामारी की आशंका पुख्ता हो गई है। गुजरात में बाघों को हुई वही महामारी (केनाइन डिस्टेंपर), जिसने दो दर्जन से ज्यादा बाघों को चपेट में लिया था। सफेद बाघिन की मौत के बाद अब आईवीआरआई, बरेली की विशेषज्ञ टीम को जांच के लिए बुलाया गया है। उनकी उपस्थिति में ही शुक्रवार को बाघिन का पोस्टमार्टम किया जाएगा। दो मौत पर मौखिक बातचीत में गंभीरता दिखाने वाले चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर और वनमंत्री सुखराम विश्नोई शाम को बायोलॉजिकल पार्क पहुंचे।
बायोलॉजिकल पार्क में जानवरों की मौतों का सिलसिला चल पड़ा है…कैसी देखरेख है?
1. शेरनी (सुजैन): 19 सितंबर लापरवाही की हद और हकीकत: बोले जूनागढ़ से लाने के समय ही बीमार थी। डॉक्टर इसको मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट पर लाए थे।
तगड़ा झटका : ब्रीडिंग कराने को जूनागढ़ से लाए थे। मौत के दिन ही जूनागढ़ से मेल शेर लेने गए थे।
2. बाघिन (रिद्धि): 21 सितंबर लापरवाही की हद और हकीकत: डॉ तंवर ने कहा बिल्कुल स्वस्थ था, पता नहीं कैसे मौत हुई। जबकि यह दो दिन से खाना नहीं खा रहा था, पोस्टमार्टम में सारे अंग खराब मिले।
लायन सफारी की तर्ज पर रिद्धि और रुद्र के साथ टाइगर सफारी की तैयारी थी। अब टली।
3. सफेद बाघिन (सीता):  26 सितंबर: अचानक मौत हो गई। कुछ दिन पहले पूंछ का इलाज किया था। केनाइन डिस्टेंपर की रिपोर्ट 10 दिन पहले आई।
बायोलॉजिकल पार्क का बड़ा आकर्षण में। अब नर सफेद बाघ अकेला रह गया।
इलाज-देखरेख में लापरवाही  जनवरी 2017 में शेरनी ‘तेजिका’, 6 वूल्फ, लेपर्ड, काला हिरण, चिंकारा, भालू आदि भी मरे। आरोप हैं कि इलाज में लापरवाही हो रही है। अव्वल तो टाइम टू टाइम होने वाला चैकअप नहीं हो रहा। या फिर डॉक्टर अनभिज्ञ हैं, जो इनको पकड़ नहीं पा रहे। जूनागढ़ से गुवाहाटी और चंडीगढ़ जू भेजे शेरों में से एक-एक की मौत हुई है। जयपुर में शेरनी आई थी। समय पर जांच नहीं हुई। लापरवाही से बीमारी फैलने की आशंका है।