प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणत्र नहीं होने पर 2500 रुपये के जुर्माने के डर का असर आरटीओ के बाहर सड़क पर दिख रहा है। शुक्रवार की सुबह 6 बजे तक 100 से अधिक वाहन स्वामी प्रदूषण जांच के लिए लाइन लगा चुके थे। लाइन लगाने वाले पहले व्यक्ति को करीब पांच घंटे के इंतजार के बाद प्रमाणपत्र मिला। नोटबंदी के दौर जैसी लाइन देखकर हर कोई हैरान है।
जिले में वर्तमान में 9.50 लाख गाड़ियां पंजीकृत हैं। इनमें से बमुश्किल एक लाख गाड़ियों का ही प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र है। इनमें भी अधिकतर वे गाड़ियां हैं जो एक साल के अंदर खरीदी गई हैं। एक साल की उम्र पूरी कर चुके वाहनों के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र जरूरी है। शुक्रवार की सुबह बरसात के बावजूद लाइन छोटी नहीं हुई। इस दौरान चार पहिया वाहन वालों की भी अच्छी खासी तादाद देखने को मिली।
लंबे इंतजार ने करा दी दोस्ती : प्रमाणपत्र के लिए लंबे इंतजार ने कतार में खड़े लोगों के बीच दोस्ती भी करा दी। लोग एक-दूसरे को गाड़ी का जिम्मा सौंप अपना काम निपटाते नजर आए। वहीं लाइन में पिता-पुत्र बारी-बारी से खड़े हुए नजर आए। कूड़ाघाट निवासी सर्वेश दूबे सुबह ही बाइक लेकर पहुंच गए थे। सुबह दस बजे उनका बेटा प्रवीण पहुंचा तब पिता ड्यूटी पर गए। मियां बाजार निवासी संजय श्रीवास्तव ने बताया कि सुबह सात बजे लाइन में लगे थे। दिन में 11 बजे प्रमाणपत्र बना। वहीं संचालक संजय गुप्ता ने बताया कि लोग सुबह पांच बजे से ही लाइन लगा ले रहे हैं। किसी को मना नहीं कर सकते हैं। जांच 10.30 बजे शुरू हुई है। शाम 6 बजे जांच बंद कर दी गई।
9.50 लाख गाड़ियों को जांचने के लिए एक केन्द्र : शहर में मौजूद करीब 9.50 लाख वाहनों की जांच के लिए सिर्फ एक केन्द्र संचालित हो रहा है। मान्यता हासिल करने वाले अन्य दो केन्द्र के मालिकों ने शुल्क बढ़ाने की मांग को लेकर बहिष्कार कर रखा है। सर्टिफिकेट बनवाने वालों की भीड़ को देखते हुए अधिकारी भी मौन पड़े हैं। वहीं आरटीओ की लाख सख्ती के बाद भी सेंटर अपनी एलॉट जगह पर दुकान नहीं लगा रहे।
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