दवाएं हो रहीं बेअसर……

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जयपुर (सुरेन्द्र स्वामी). सर्दी-जुकाम, खांसी व बुखार में मरीज सेल्फ मेडिकेशन या झोला छाप से एजीथ्रोमाइसिन, सिफलोक्स, एंपीसिलिन, अमॉक्सिसिलिन, सिप्रोफलोक्सेसिन जैसी दवाएं खुद केमिस्ट की दुकान से खरीदकर एंटीबायोटिक सेवन से न केवल बेअसर बल्कि ठीक होने की बजाय संक्रमण बढ़ रहा है। सामान्य बीमारियों पर भी असर नहीं हो रहा क्योंकि अंधाधुंध इस्तेमाल से बीमारी फैलाने वाले वायरस व बैक्टीरिया का प्रभाव खत्म हो रहा है।हालात ये है कि अस्पतालों में गंभीर बीमारी से पीड़ित आईसीयू में इलाज ले रहे मरीज जल्दी ठीक होने के चलते अंधाधुंध एंटीबायोटिक सेवन से जान पर बन आती है। अस्पतालों में मरीजों पर दवाओं के बेअसर के बढ़ते ग्राफ को कम करने के लिए एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर समेत जेएलएन अजमेर, जोधपुर, आरएनटी उदयपुर, बीकानेर, कोटा, झालावाड़ व आरयूएचएस कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज में ‘एंटी माइक्रो बायल रेजिस्टेंस’ प्रोजेक्ट प्रारंभ किया है। मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में दवाओं के बेअसर की रिपोर्टिंग व मॉनिटरिंग की जाएगी। और रिपोर्ट के अाधार पर मरीजों का क्लिनिकल ट्रीटमेंट किया जाएगा। मौजूदा स्थिति में अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों में 50 फीसदी एंटीबायोटिक का इस्तेमाल होता है। एसएमएस अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ.अजीत सिंह व डॉ.पुनीत सक्सेना का कहना है कि एंटीबायोटिक दवाअों के बेअसर होने के प्रमुख कारणों में सेल्फ मेडिकेशन सबसे ज्यादा खतरनाक है। इसके अलावा एंटीबायोटिक कोर्स को पूरी तरह नहीं लेना, गलत एंटीबायोटिक का चयन, कीटाणुओं में म्यूटेशन का फैलना है। एंटीबायोटिक दवा ही नहीं इंजेक्टेबल से भी बीमारी ठीक होने की बजाय बड़ जाती है। हमारी अपील है कि मलेरिया, टीबी, सर्दी-जुकाम, बुखार के मरीज बिना डॉक्टर की सलाह के दवा नहीं लें। अपनी मर्जी से दवाएं लेने से जहां शरीर को नुकसान पहुंचता है वहीं भविष्य में दवाओं का असर बिलकुल खत्म होने का भी खतरा रहता है। अस्पतालों के मेडिसन, यूरोलोजी, न्यूरोर्सजरी, कार्डियोलोजी, गेस्ट्रोएंट्रोलोजी, जनरल सर्जरी, आर्थोपेडिक्स, एंडोक्राइनोलोजी, पीडियाट्रिक मेडिसन, प्लास्टिक सर्जरी, गायनी विभागों के आउटडोर, इनडोर व आईसीयू में भर्ती मरीजों पर विशेष नजर रहेगी। गौरतलब है कि एंटीबायोटिक्स कमेटी में मेडिसन, माइक्रोबायोलोजिस्ट, गायनी व फार्माकोलॉजी की फैकल्टी शामिल होगी। कमेटी केमिस्टों पर निगाह रखेगी जो बिना पर्ची की दवाएं बेच रहे हैं। ऐसे केमिस्टों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। एसएमएस के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि एंटीबायोटिक का जिस तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है, इसका असर शरीर पर बेहद गलत है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से किए गए विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि स्वस्थ भारतीयों पर अब एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो रही हैं। एसएमएस मेडिकल कॉलेज में एएमअार प्रोजेक्ट पर काम प्रारंभ कर दिया है। सामान्य बीमारी में भी एंटीबायोटिक का सेवन करना गलत है। अगर मरीज स्वस्थ है, तो भविष्य में इंफेक्शन के इलाज में भी दिक्कत अा सकती है।

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