मालिक को देने होंगे 15 हजार……

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पटना-  राज्य में मोटर वाहनों में वीआईपी नंबर (फैंसी) और च्वाइस नंबर के लिए सरकार ने प्रक्रिया बदल दी है। अब वीआईपी नंबर के लिए ई-नीलामी होगी। एक सिरीज में 9999 नंबरों में से 641 नंबरों को ई-नीलामी के लिए रिजर्व रखा जाएगा। इसके लिए निजी वाहन और व्यावसायिक वाहन के लिए बेस रेट की अलग-अलग दर रखी गई है। मसलन- 0001 नंबर के लिए बोली में शामिल होने के लिए निजी वाहन मालिक को 1 लाख रुपए जबकि व्यावसायिक वाहन मालिक को 35 हजार रुपए बेस रेट जमा करना होगा। इसके बाद ही वह ई-नीलामी में हिस्सा ले सकेगा। वहीं इन 641 नंबरों के अलावा किसी अन्य च्वाइस नंबर के लिए निजी वाहन मालिक को 15 हजार रुपए, जबकि व्यावसायिक वाहन मालिक को 10 हजार रुपए देने पड़ेंगे। मंगलवार को कैबिनेट ने नए बदलावों को मंजूरी दे दी। राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हरियाणा समेत अनेक राज्यों में यही व्यवस्था लागू है। बिहार में फिलहाल वाहन मालिकों को वीआईपी नंबर के लिए 25 हजार से लेकर 5000 रुपए तक खर्च करना पड़ता था। कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि सर्वाधिक बोली लगाने वाले को एच-1 घोषित किया जाएगा। उसे बोली लगाने के सात दिनों के भीतर पूरी रकम जमा करनी होगी। अगर कोई वीआईपी नंबर नीलाम नहीं होता है तो उसे सामान्य दर पर ही राज्य सरकार की गाडियों को आवंटित किया जा सकेगा। 30 अगस्त 2018 से पहले पूरा हो चुके फ्लैटों की रजिस्ट्री में रेरा के निबंधन की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। नए प्रावधान के अनुसार वैसे प्रोजेक्ट जिनके कम से कम एक फ्लेट की रजिस्ट्री 30 अगस्त 2018 से पहले हो चुकी होगी उसे पूर्ण माना जाएगा। अभी तक एक मई 2017 से पहले के प्रोजेक्ट को पूर्ण माना जाता था। अभी तक रेरा में निबंधित प्रोजेक्ट के फ्लैटों की रजिस्ट्री की जा रही थी। ऐसे प्रोजेक्ट के खरीदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जो राज्य में रेरा के लागू होने के पहले पूरे हो चुके थे और किसी कारण उनकी रजिस्ट्री नहीं हो सकी थी। इससे राजस्व वसूली पर भी असर पड़ रहा था।

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