13 वर्ग किमी में कैसे रहेगा….

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भोपाल –  मप्र में 526 बाघों के होने का एस्टीमेट वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) ने हाल ही में जारी किया। छह टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर इस आंकड़े को लेकर उत्साहित हैं, क्योंकि गणना के दौरान वे भी जुटे रहे। उन्होंने अनुमान लगा लिया कि टाइगर रिजर्व में कितने टाइगर हो सकते हैं, लेकिन एेसा करते समय उन्होंने यह ध्यान नहीं रखा कि बाघों का इलाका ही आधा हो जाएगा। हैरान करने वाले आंकड़े हैं कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 110 टाइगर होने का अनुमान लगाया गया, जबकि उनका क्षेत्रफल ही 1536 वर्ग किमी है यानी 20 से 25 वर्ग किमी तक का इलाका बनाकर घूमने वाला  बाघ बांधवगढ़ में 12 से 13 वर्ग किमी के इलाके में ही रहेगा। मप्र के टाइगर रिजर्व में 10 साल से अधिक समय तक काम करने वाले सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी एलके चौधरी कहते हैं कि यह अनुमान गले नहीं उतर रहा। बांधवगढ़ में तो 50 से 60 बाघों से ज्यादा की जगह ही नहीं।  साफ है कि आंकड़ों को लेकर सवाल खड़े हो सकते हैं। मप्र के छह टाइगर रिजर्व में बांधवगढ़ ही एेसा है जहां बाघों की संख्या सर्वाधिक होने का अनुमान है, जबकि रिजर्व का क्षेत्रफल अन्य नेशनल पार्कों से कम है। मप्र के छह टाइगर रिजर्व (नेशनल पार्क) व रातापानी सेंक्चुरी के फील्ड डायरेक्टरों की मानें तो बाघों की संख्या का अनुमान 444 पहुंच रहा है।
शेष मप्र मिलाकर डब्ल्यूआईआई का अनुमान 526 का है। चौधरी कहते हैं कि स्टेट फाॅरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के 2016 के आंकड़ों के मुताबिक बांधवगढ़ की संख्या 61 है और 2014 के डब्ल्यूआईआई की रिपोर्ट में भी आंकड़े 60 हैं, लेकिन अब यह आंकड़ा 110 तक पहुंचने वाला है। चौधरी कहते हैं कि बांधवगढ़ का एक-एक इंच देखा हुआ है। एक साल में एक बाघ को खाने के लिए कम से कम 72 चीतल चाहिए। इस हिसाब से ही देखें तो बांधवगढ़ में भोजन (हरबीबोर) नहीं है। वैसे भी एक साल में हरबीबोर (हिरन, सांभर व अन्य शाकाहारी जीव) 10 फीसदी की दर से बढ़ता है, लेकिन कार्निबोर (बाघ) 1-2 फीसदी की दर से बढ़ते हैं। इसलिए एस्टीमेट अव्यवहारिक लगता है। सही स्थिति फाइनल आंकड़े आने के बाद पता लगेगी। दूसरी ओर सेवानिवृत्त पीसीसीएफ आरएन सक्सेना मानते हैं कि मप्र में बाघों की संख्या 500 से अधिक हो सकती है, क्योंकि काफी समय के प्रयास से यह स्थिति बनी है। बांधवगढ़ में पनपथा सेंक्चुरी भी जुड़ी है, इसलिए संख्या ज्यादा हो सकती है। लेकिन वे यह भी मानते हैं कि बाघों की टेरेटरी 25 से 30 वर्ग किमी होती है जो बांधवगढ़ में 10 से 12 वर्ग किमी रह गई है। शिकार रोकने के लिए अब ये करना होगा : आरएन सक्सेना के अनुसार मप्र को अब शिकार रोकने के लिए जल्द से जल्द वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 58ए से 58वाई के बीच उल्लेखित ट्रिब्यूनल को अस्तित्व में लाना होगा। इस ट्रिब्यूनल के आने के बाद शिकारी और उसकी पत्नी, मां-बाप व बेटा-बेटी की संपत्ति जब्त हो सकती है। वर्ष 2003 से यह विचाराधीन है।  इसी तरह 47 साल से टाइगर रिजर्व का फाइनल नोटिफिकेशन नहीं हुआ। एेसा हो जाए तो अधिकार स्पष्ट हो जाएंगे। टाइगर रिजर्व के नोटिफिकेशन से पहले जो वन क्षेत्र में प्रवेश करते थे, उन्हें ही मंजूरी होती है। अनावश्यक लोड नहीं बढ़ता। इसके साथ ही टाइगर रिजर्व के आसपास मवेशियों का वेक्सीनेशन होना चाहिए। इससे टाइगर ज्यादा सुरक्षित हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ : हमारे बाघ मध्यप्रदेश चले गए – छत्तीसगढ़ के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अतुल शुक्ला ने कहा कि 2014 में 46 बाघ थे, अब कह रहे हैं कि 19 रह गए। अचानक तो इतनी संख्या नहीं घटती। इसलिए इस बात से इनकार नहीं है कि भोरम देव से कॉरिडोर होते हुए कान्हा और अचानकवार, गोवर्धा, गुरु घासीदास के रास्ते कवर्धा होते हुए कई टाइगर बांधवगढ़ चले गए। इसीलिए वहां संख्या बढ़ी है। कई टाइगर एेसे हैं, जिन्हें काॅलर आईडी नहीं लगाया गया है। इसलिए यह भी नहीं कह सकते है कि कौन से टाइगर हमारे हैं।

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