मासूम ने खो दिया दिमागी संतुलन……

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बरौली –  पेड़ में रस्सी से बंधा 11 साल का आकाश। हरकतें जानवरों वाली। यह सामान्य बच्चे से बिल्कुल भिन्न है। अब आपके जेहन में यह सवाल खड़ी हो रही होगी कि आखिर किस गुनाह की सजा इस मासूम को दी जा रही है। हकीकत जान कर आप हैरान रह जाएंगे। जन्म से 4 साल तक सामान्य बच्चों की तरह आजाद जीवन जीने वाला यह मासूम 7 साल से जानवरों की तरह खूंटे से बंधा रहता है। इसका कारण इसकी मां-बाप की गरीबी है। 7 साल पहले बीमार पड़े आकाश के इलाज के लिए महज 2 हजार रूपया नहीं जुट पाया था। नतीजतन इस मासूम की दिमागी संतुलन खो गई। ऐसे में एक मां को अपने जिगर के टूकड़े को जानवरों की तरह खूंटे से बांधने पर मजबूर कर दिया।
बरौली के सलेमपुर में वर्ष 2008 में जन्में आकाश को चार साल बाद दिमागी बुखार हो गया था। उसके पिता प्रभू प्रसाद मजदूरी करते हैं। मां संध्या देवी भी खेतों में मजदूरी करती है। तीन बच्चों में सबसे बड़े बेटे आकाश की बीमारी में इलाज के लिए 2 हजार रूपए लग रहे थे। लाचार मां-बाप ने गांव से लेकर अफसरों तक गुहार लगाई ,लेकिन कोई मसीहा खड़ा नहीं हुआ है। ऐसे में इलाज के अभाव में बच्चे ने दिमागी संतुलन खो दिया। परिजनों ने बताया कि दिमागी संतुलन खो दिया। ऐसे में कहीं भागे नहीं या फिर नदी-तालाब में डूब न जाए इस कारण पेड़ से बांधे रखते हैं। जितनी लंबी रस्सी, उतनी हीं दायरा उसके खेलने-कूदने के होते हैं। रस्सी से बंधे इस मासूम की हरक्कतें अब जानवरों की मानिंद होने लगी है। इससे मां-बाप उसकी जीवन को लेकर चिंतित रहते हैं।
कोई हमार मददगार नईखे। हमनी मजदूरा आदमी हईं। एही से कोई कर्जा देबे के तैयार नईखे होत। अब भगवाने के उपर छोड़ देले बानी, अब उहे हमारा लईका के जइसे राखस…। –  मां
जब हमरा लईका के बेमार पड़ल त कोई दू हजार रोपया देबे वाला ना रहे। अब त डॉक्टर कहता कि ढेर रोपया लागी। हम कहां से जुटा पाएब। उपर वाला जब दिहें तबे इलाज होई।। पिता
पिछले महीने में मैंने अपनी पॉकेट से इलाज के लिए 2 हजार रुपए सहायता दिया था। बच्चे के इलाज के लिए समाज के सभी वर्ग के लोगों का आगे आना चाहिए। यह पुण्य का काम है।  सीओ, बरौली

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