पिछड़ गई कांग्रेस…..

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भोपाल – पांच महीने पहले विधानसभा चुनाव में 114 सीटें जीतने वाली कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 230 में से 211 सीटों पर भाजपा से पिछड़ गई। उसके 96 विधायकों के क्षेत्र में कांग्रेस हारी है यानी इन सीटों पर भाजपा को ज्यादा वोट मिले हैं। भाजपा का वोट पांच महीने में 57.53 लाख बढ़ गया है। जबकि विधानसभा चुनाव में उसके पास कांग्रेस से सिर्फ 47827 वोट ज्यादा थे। कांग्रेस के सिर्फ 19 विधायक ही अपने क्षेत्र में पार्टी को लीड दिला पाए।
29 में से 20 लोकसभा सीटों के विस क्षेत्रों में कांग्रेस पूरी तरह साफ हो गई। यह सीट मुरैना, भिंड, सागर, टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, सीधी, जबलपुर, होशंगाबाद, विदिशा, राजगढ़, देवास, उज्जैन, मंदसौर, इंदौर, खरगोन, खंडवा और बैतूल हैं।
भाजपा की जीत की वजह : चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर, पीएम आवास स्कीम और उज्जवला गैस योजना का फायदा भाजपा को हुआ है।
यही उसकी प्रदेश में ऐेतिहासिक जीत (28 सीट) का कारण बना है।
सपा, बसपा, निर्दलीय विधायकों की सीट पर भी भाजपा आगे : विधानसभा चुनाव में सपा ने बिजावर, बसपा ने भिंड व पथरिया और निर्दलीयों ने वारासिवनी, बुरहानपुर, सुसनेर व भगवानपुरा सीट जीती थीं। ये विधायक प्रदेश में कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं। लोकसभा चुनाव में इन विधायकों की सीटों पर भी भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले।
96 विधायक अपने क्षेत्र में कांग्रेस को नहीं जिता पाए
कांग्रेस का वोट 1.27 करोड़ रह गया : विधानसभा चुनाव में भाजपा को 1 करोड़ 56 लाख 42 हजार 980 वोट मिले थे, जो 2019 में बढ़कर 2 करोड़ 14 लाख 06 हजार 887 हो गए। जबकि कांग्रेस का वोट दिसंबर 2018 में एक करोड़ 55 लाख 95 हजार 153 था, जो अब 1 करोड़ 27 लाख 33 हजार 51 वोट रह गया। यानी उसे 28.62 लाख वोट का नुकसान हुआ।
कर्जमाफी बेअसर : 63 ग्रामीण सीटें अब घटकर सिर्फ 13 किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा भी लोकसभा चुनाव में बेअसर रहा। कांग्रेस के पास प्रदेश की 126 ग्रामीण विधानसभा सीटों में से 63 थीं, जो इस चुनाव में सिर्फ 13 बची हैं। जबकि इन सीटों पर भाजपा को 40 से 70 हजार वोट की लीड मिली है। 104 शहरी सीटों में से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 51 सीटें मिली थीं, जिन पर उसकी बढ़त लोस चुनाव में घटकर सिर्फ पांच सीटों तक सिमट गई है।
भाजपा की एक सीट पर कांग्रेस को बढ़त : प्रदेश में भाजपा के 109 विधायक हैं। इनमें से 108 के क्षेत्र में भाजपा ने अपनी बढ़त कायम रखी। रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट की झाबुआ विधानसभा में कांग्रेस को अधिक वोट मिले।
भाजपा को कांग्रेस से 24 फीसदी ज्यादा वोट : लोकसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस की तुलना में 24 फीसदी ज्यादा वोट मिले हैं। भाजपा को 58 फीसदी और कांग्रेस को 34 प्रतिशत वोट मिले हैं।
कैबिनेट की बैठक आज
विधायकों के अलावा मंत्रियों के साथ भी मंथन करेंगे सीएम : भाेपाल। कांग्रेस में शनिवार को भोपाल से दिल्ली तक मंथन का दौर चला। मुख्यमंत्री कमलनाथ दिल्ली में हुई सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में शामिल नहीं हुए। मुख्यमंत्री सरकार की स्थिरता को लेकर बन रहे कथित सियासी समीकरण को साधने में जुटे रहे। उन्होंने इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से दो दौर की लंबी चर्चा की। सुबह मुख्यमंत्री निवास पर नाथ और दिग्विजय के बीच बातचीत हुई। शाम को भी दोबारा दोनों में चर्चा हुई। नाथ के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की खबर को कांग्रेस ने भी खारिज कर दिया है। नाथ ने रविवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है। मुख्यमंत्री सुबह कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक में मंत्रियों से भी चर्चा करेंगे। पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार दिग्विजय शनिवार को दिल्ली रवाना होने वाले थे, लेकिन विधायकों की होने वाली बैठक की वजह से उन्हें रुकने के लिए कहा गया है। सूत्रों के अनुसार नाथ ने दिग्विजय को विधायकों की एकजुटता बनाए रखने उन पर नजर रखने को कहा है।
शेरा ने कहा भले ही में कांग्रेस में नहीं, लेकिन मेरा समर्थन : कांग्रेस को समर्थन दे रहे चार निर्दलियों विधायकों में से प्रदीप जायसवाल कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री है। इसलिए वे सरकार के अंग है। दो अन्य निर्दलियों विधायकों में सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने भास्कर से चर्चा में कहा कि उन्होंने कभी भी यह बात नहीं कही कि मैं कांग्रेस से समर्थन वापस लेकर भाजपा में शामिल होने जा रहा हूं। मैं भले ही कांग्रेस में नहीं हूं लेकिन मेरा समर्थन जारी रहेगा। मुझे मुख्यमंत्री ने रविवार को विधायक दल की बैठक में बुलाया है। केदार डाबर ने भी बैठक में शामिल होने की बात कही है। बैठक में बसपा विधायक संजीव कुशवाह, रामबाई और सपा विधायक राजेश शुक्ला को भी बुलाया गया है। वहीं, कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग ने उनके भाजपा में शामिल होने की खबर सिर्फ अफवाह है, मैं कांग्रेस में हूं और रहूंगा।
देवाशीष ने राहुल गांधी को लिखा पत्र, पार्टी प्रवक्ता का पद खत्म कर देना चाहिए भिंड लोकसभा से चुनाव लड़े देवाशीष जरारिया ने चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को लिखे पत्र में कहा है कि पार्टी को प्रवक्ता का पद समाप्त कर देना चाहिए। अब जब तक मैने अपना प्रवक्ता का पद पार्टी को वापस कर दिया है। इसकी वजह मीडिया पर अब विपक्षी दलों के लिए कोई स्पेश नहीं है। अगर कोई वरिष्ठ नेता समसामियक मुद्दा उठाना चाहता है तो उसे केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी चाहिए।

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