भोपाल – अप्रैल में प्रदेश में पड़े आयकर छापों की सीबीआई जांच की केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्रालय द्वारा दी गई अनुमति में तकनीकी पेंच सामने आया है। दरअसल मप्र में किसी भी मामले की सीबीआई जांच के मामले में पिछली भाजपा सरकार ने अक्टूबर 2012 में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 की धारा 6 को प्रदेश में लागू किया है। इसके अनुसार राज्य सरकार की अनुमति के बिना सरकार के अधीन विषयों पर सीबीआई कोई जांच नहीं कर सकेगी।
इस अधिनियम के बावजूद चुनाव आयोग के सिफारिशी पत्र को केंद्रीय मंत्रालय ने सीबीआई को जांच के लिए भेज दिया। केंद्र और राज्य सरकार के बीच मतभेद की यही बड़ी वजह बताई जा रही है। शनिवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रभारी अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक शेखर से बात की। देर रात सांसद व सुप्रीम कोर्ट के वकील विवेक तन्खा भी कमलनाथ से मिले। इन मुलाकात को इसी मामले से जोड़कर देखा जा रहा है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि आयकर छापों से जुड़े मामले की बिना राज्य सरकार की अनुमति के सीबीआई से जांच कराना संभव नहीं है।
निर्वाचन आयोग ने जिस तरीके से सीबीआई को जांच के लिए निर्धारित करने की सिफारिश की है, उससे जाहिर है कि यह सही नहीं है। मामले की जांच के लिए कौन सी एजेंसी सक्षम है, यह तय करने की जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग की नहीं है।