भाेपाल . राजधानी में आवारा कुत्तों की तादात पांच साल में एक लाख से बढ़कर तीन लाख पर जा पहुंची है। भोपाल के शहरी क्षेत्र की अनुमानित 15 लाख की आबादी में हर पांच व्यक्तियों को एक कुत्ता डरा रहा है। नगर निगम का दावा है कि इन 5 सालों में एक लाख आठ हजार 403 कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देकर बेबसी जताने वाले निगम ने इसके लिए 5 करोड़ 71 लाख 41 हजार 147 रुपए का भुगतान किया है। ये भुगतान एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर (एबीसी) का संचालन करने वाली नवोदय वेट सोसायटी काे किया गया। कुत्तों के कारण दो बच्चों की मौत के बाद निगम कमिश्नर अब वेरिफिकेशन कमेटी को रिवाइज करने का दावा कर रहे हैं। इस कमेटी का काम एबीसी की मॉनिटरिंग करना है। एबीसी का दावा है कि रोज 45-50 कुत्तों की नसबंदी की जा रही है। सेंटर का रिकॉर्ड बताता है कि यहां 25-30 नसबंदियां ही हो रही हैं।
2018 में निगम ने राजधानी में चार शेल्टर होम बनाने के लिए 50 लाख रुपए मंजूर किए थे। इंदौर रोड, विदिशा रोड, रायसेन रोड और कोलार रोड पर शेल्टर होम बनने तय हुए थे। जमीन आवंटन के लिए जिला प्रशासन को पत्र भी लिखा गया, लेकिन शेल्टर होम सालभर बाद भी नहीं बन पाए हैं। शिव संगम नगर में छह साल के संजू का नोंच-नोंचकर मार डालने वाले कुत्तों को निगम अमला शनिवार को भी नहीं पकड़ सका। टीम का दावा है कि शनिवार शाम तक 15 आवारा कुत्ते पकड़े गए।
वेरिफिकेशन कमेटी करती है माॅनीटरिंग: एबीसी ठीक तरह से काम कर रहा है या नहीं इस पर नजर रखने के लिए एक वेरिफिकेशन कमेटी बनाई गई है। कमेटी का गठन नवंबर 2013 में किया गया था। इसमें निगम के पशु चिकित्सक डाॅ. एसके श्रीवास्तव, वेटरनरी विभाग से डाॅ. बीके गुप्ता अाैर डाॅ. पीपी सिंह के अलावा लाेकल इंडिपेंट सदस्य के ताैर एनजीअाे संचालिका नीलम काैर शामिल हैं। ये कमेटी 2017 में रिवाइज हुई थी, लेकिन एक भी सदस्य नहीं बदला गया।
18 सितंबर 2018 … को कुत्तों ने अदिवित्य को जख्म दिए थे। अब भी वह कुत्ताें काे देखकर दहशत में अा जाता है। हम उसे अकेले बाहर नहीं जाने देते हैं। – पुष्पा दीवान, अदिवित्य की मां
2 मई 2018 को रात में फवाद घर के बाहर खेल रहा था। कुत्ते ने हमला किया तो उसकी अांख पर घाव हुअा था। 37 टांके लगे थे। एक साल बाद भी फवाद चिड़चिड़ा हो गया है। – बाबर उल्ला, फवाद के पिता
1 फरवरी 2018 को सुबह 7 बजे रजा घर के बाहर चला गया। ढूंढ़ा ताे पास के नाले में चार-पांच कुत्ते उसे नोंचते मिले। कुत्ताें काे भगाया, लेकिन तब तक उसकी माैत हाे चुकी थी। – तनूजा बी, रजा की मां
एबीसी सेंटर्स की संख्या बढ़ाएं, पेनलेस डेथ की अनुमति दें : नगर निगम को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के पालन के लिए एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर्स की संख्या बढ़ाना चाहिए। हमने इस बारे में नगर निगम को पत्र भी लिखे हैं। इसके अलावा हमने मेनका गांधी को भी पत्र लिखा है कि खूंखार कुत्तों को पेनलैस डेथ की अनुमति दें। इसके अलावा कुत्ता पालने वालों को भी समझना होगा कि वे पालतू जानवर का ख्याल रखें। उन्हें घर में रखे।
अरुण गुर्टू, पूर्व डीजी, फाउंडर, भोपाल सिटीजंस फोरम
शु क्रूरता अधिनियम हो या सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन उसमें कहा गया है कि आप पशु के साथ क्रूरता नहीं करोगे। अधिकारी दोष देने की बजाय काम ठीक ढंग से करें। – विवेक तन्खा, वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट
बच्चे के साथ हुई घटना दुखद है। इससे पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। मैं पशु क्रूरता अधिनियम के खिलाफ कोर्ट जाऊंगा। – आलोक शर्मा, महापौर
वेरिफिकेशन कमेटी रिवाइज की जाएगी। नए लाेगाें काे कमेटी में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा एबीसी की व्यवस्था में भी बदलाव किया जाएगा। शेल्टर हाेम बनाने के लिए जमीन चिह्नित हुई है। – बी विजय दत्ता, कमिश्नर, नगर निगम
19 वर्ष पुराने कानून का पालन नहीं करा पाई मप्र सरकार : इंदौर और भोपाल जैसे जिले में आए दिन ऐसी घटनाएं होते रहती है क्योंकि यहां कि नगर निकायों को अर्बन डिपार्टमेंट की ओर से इंस्ट्रक्शन ही नहीं दी गई है। नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी से भी आग्रह किया गया िक कुत्तों की नसबंदी कानून का पालन कराया जाए बावजूद सरकार ने कुछ नहीं किया। वर्ष-2000 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि सिर्फ नसबंदी ही एक मात्र उपाय है, इससे कुत्ते हिंसक कम हो जाते हैं और शांत भी हो जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हर प्रदेश में शहरी विकास सचिव की अध्यक्षता में एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई जाए और वह नसबंदी का टारगेट तय करे। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक यह कमेटी नहीं बनी है। गौरी मौलेखी, पीपुल्स फॉर एनिमल्स की ट्रस्टी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल वेलफेयर मैनेजमेंट कमेटी की सदस्य
पर्याप्त अमला, फिर भी अनदेखी : निगम के पास 6 डॉग कैचर वाहन है। एक वाहन पर 8 कर्मचारी तैनात रहते हैं। इनके अलावा एबीसी की दो वैन हैं। इन पर चार-चार कर्मचारी तैनात रहते हैं।