(सीएडी) बढ़कर 16.9 अरब डॉलर हो गया है। जबकि पिछले वित्तवर्ष 2017-18 की आलोच्य तिमाही में चालू खाते का घाटा 13.7 अरब डॉलर था। ये आंकड़े शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी किए गए।हालांकि क्रमिक आधार पर वित्तवर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही के सीएडी 19.1 अरब डॉलर के मुकाबले तीसरी तिमाही के सीएडी में गिरावट आई है।
आरबीआई ने भारत की तीसरी तिमाही के भुगतान संतुलन (बीओपी) को लेकर एक बयान में कहा, “भारत का चालू खाते का घाटा 2018-19 की तीसरी तिमाही में 16.9 अरब डॉलर (जीडीपी का 2.5 फीसदी) है जबकि 2017-18 की तीसरी तिमाही का चालू खाते का घाटा 13.7 अरब डॉलर (जीडीपी का 2.1 फीसदी) था, लेकिन यह चालू वित्तवर्ष की दूसरी तिमाही के 19.1 अरब डॉलर (जीडीपी का 2.9 फीसदी) से कम है।”
फरवरी अंत तक राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 134 फीसद के पार
आरबीआई ने कहा, “सालाना आधार पर सीएडी में वृद्धि व्यापार घाटा बढ़ने के कारण हुई है, जो पिछले साल के 44 अरब डॉलर के मुकाबले 49.5 अरब डॉलर हो गया है।”
आरबीआई के अनुसार, मुख्य रूप से दूरसंचार, कंप्यूटर सूचना सेवा और वित्तीय सेवा से प्राप्त निवल आय में वृद्धि के अभाव के कारण सालाना आधार निवल सेवा प्राप्तियां 2.8 फीसदी बढ़ी है।
आरबीआई ने कहा, वित्तवर्ष 2018-19 में वित्तीय खाते मं निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 7.5 अरब डॉलर रहा, जिसमें पिछले वित्तवर्ष की समान अवधि के 4.3 अरब डॉलर के मुकाबले वृद्धि हुई है।