वो शहर का नामी ऑर्थोपैडिक डॉक्टर था. टूटी-फूटी हड्डियों को जोड़ना उसे खूब आता था. इंसानी जिस्म में कौन सी हड्डी कहां है ये उससे बेहतर कोई नहीं जानता था. इसीलिए उसे ये भी मालूम था कि एक लाश के कहां-कहां से और कितने टुकड़े हो सकते हैं. यही वजह है कि शायद वो हिंदुस्तान का पहला ऐसा आरोपी कातिल बन गया है, जिसने किसी लाश के सबसे ज्यादा टुकड़े किए हों. एक लाश के करीब पांच सौ टुकड़े. अब ज़रा सोचिए. फर्श पर लाश के करीब पांच सौ टुकड़े पड़े हों और उसी वक्त पुलिस वहां पहुंच जाए तो कातिल छोड़िए पुलिस की क्या हालत होगी.
5 फरवरी 2019, दोपहर 1 बजे, होशंगाबाद, मध्यप्रदेश
होशंगाबाद पुलिस को खबर मिलती है कि शहर के पॉश आनंद नगर इलाके के एक बंगले से एक अजीब सी गंध आ रही है. बदबू इतनी तेज़ कि लोगों के लिए नाकाबिल-ए-बर्दाश्त थी. ख़बर मिलते ही पुलिस को लग गया कि हो ना हो यहां कुछ तो गड़बड़ है. और इससे पहले की कहीं देर ना हो जाए. पुलिस ने घर में दस्तक दे दी. दरवाज़ा खुलने में देर हुई तो पुलिस जबरन घुस गई.
पुलिस घर में दाखिल हो तो गई थी. मगर जो मंज़र उसकी आंखों के सामने था वो रौंगटे खड़े कर देने वाला था. घर में चारों तरफ बिखरे इंसानी लाश के करीब 500 टुकड़े. लड़की काटने वाली 4 आरियां. एक ड्रम भर कर एसिड. हड्डियां काटने के लिए चौकी. और इन सब के बीच हाथों में लाश के टुकड़े लिए हुए एसिड में जलाने की कोशिश कर रहा शहर का नामी गिरामी ऑर्थोपैडिक डॉक्टर सुनील मंत्री.
एक तो यूं भी लाश की गंध बर्दाश्त के काबिल नहीं होती. ऊपर से अगर उसे एसिड में डाल दिया जाए तो उस जगह खड़ा होना भी मुश्किल हो जाता है. और उसी जगह उस वक्त होशंगाबाद की पुलिस खड़ी थी. लाश को गलाने के लिए शहर के मशहूर ऑर्थोपैडिक डॉक्टर सुनील मंत्री ने एचसीएल और सल्फ्यूरिक एसिड का इस्तेमाल किया था. क्योंकि इन दोनों एसिड को मिलाने से जो हाई डेंसिटी घोल तैयार होता है. उसमें हड्डियां महज़ पांच से सात घंटे में पूरी तरह से गल जाती है.
मगर सवाल ये था कि जिस लाश के 500 टुकड़े पुलिस अपनी आंखों के सामने देख रही थी वो आखिर थी किसकी. डॉ सुनील मंत्री ने आखिर किसे इस बेरहमी से मार डाला और क्यों?
इसके लिए हमें अप्रैल 2018 में जाना होगा. ऑर्थोपैडिक डॉक्टर सुनील मंत्री की पत्नी सुषमा मंत्री का लंबी बीमारी की वजह से अप्रैल 2018 में निधन हो गया था. सुषमा अपने घर में पिछले 8 सालों से एक बुटीक चला रही थीं. जो अच्छा खासा चलने लगा था. और उनके इस काम में हाथ बटाने के लिए महिला भी थी. मगर सुषमा की मौत के बाद भी डॉक्टर साहब ने इस बुटीक को बंद नहीं किया. और उसकी ज़िम्मेदारी उस महिला को दे दी जो शुरू से ही इस काम से सुषमा के साथ जुड़ी हुई थी.
मगर कुछ ही दिनों में महिला का रहन सहन बदल गया. जिसे देखकर उसके पति वीरेंद्र पचौरी उर्फ वीरू के शक़ हुआ. उसने अपनी पत्नी से इस सिलसिले में बात की तो बीवी टालमटोल करने लगी. वीरू का शक और गहरा गया और वो सीधे डॉक्टर के पास पहुंच गया. जहां दोनों में इस बात को लेकर काफी बहस हुई. और वीरू डॉक्टर मंत्री को धमकाने लगा.
इटारसी के सिविल अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टर मंत्री उम्र के आखिरी पड़ाव थे. उनका रिटार्यमेंट भी करीब था. और शहर में एक आर्थोपेडिक डॉक्टर के तौर पर उनकी काफी इज्ज़त थी. ऐसे में उन्हें डर था कि वीरू ना सिर्फ उनकी इज्ज़त पर बट्टा लगा सकता है. बल्कि उन्हें उसकी ब्लैकमेलिंग का शिकार भी बनना पड़ेगा. इसलिए डॉक्टर साहब ने इस नासूर का ऑपरेशन करने का प्लान तैयार कर लिया. उसी के चलते डॉक्टर ने इस खौफनाक वारदात को अंजाम दे डाला.