छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट को नैसर्गिक सुंदरता, तिब्बती और जनजातीय संस्कृति के कारण प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में देश भर में ख्याति मिली है। यहां का मौसम बड़ा ही निराला है। वर्ष भर सैलानियों से गुलजार रहने वाले मैनपाट के कई पर्यटन स्थल आज भी अछूते हैं। यह इलाका अपने आप में कई रहस्यों को भी समेटे हुए है, जो प्रकृति के नियमों के विपरीत नजर आते हैं और लोगों को आश्चर्य में डाल देते हैं।
यहां स्पंज जैसी जमीन है जिस पर उछलना किसी स्पंज के गद्दे पर उछलने जैसा अहसास कराता है। इसी के साथ यहां एक और आश्चर्यजनक स्थल है। इसे उल्टा पानी के नाम से जानते हैं। एक झरने से निकल कर उंची नीची घाटियों पर बहने वाला पानी गुरुत्वाकर्षण के नियम के विपरीत नीचे से ऊपर की ओर बहता नजर आता है। सैलानी इसे देखकर आश्चर्य में डूब जाते हैं।
उल्टा पानी एक ऐसी जगह है जहां खेत के एक कोने से रीसता हुआ पानी प्रकृति के सामान्य नियमों के प्रतिकूल घाट की ओर चढ़ते हुए छोटे से टीले को पार कर दूसरी तरफ जाता है। इतना ही नहीं यहां से होकर गुजरने वाली सड़क पर नीचे की तरफ अगर चार चक्का वाहन को स्टार्ट बंद कर न्यूट्रल में डाला जाए तो वाहन घाट की ओर दौड़ पड़ता है। गाडी तो घाट की तरफ इंजन बंद की अवस्था में दौड़ता देख पर्यटक बार-बार ऐसा कर रोमांचित होते हैं। उल्टा पानी तक पहुंचने के लिए अंबिकापुर से दरिमा होते हुए मैनपाट जाने वाली सड़क से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
मैनपाट पहाड़ पर चढ़ने के बाद बिसरपानी गांव के आखिरी छोर में उल्टा पानी है। इस जगह तक पहुंचने में अंबिकापुर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। भू वैज्ञानिक इस क्षेत्र का अक्सर अध्ययन करते रहते हैं, लेकिन अभी तक उल्टा पानी का रहस्य सुलझ नहीं पाया है। कारण चाहे जो भी हो पर प्रकृति के इस सामान्य नियमों के विरुद्ध घाट की तरफ पानी का बहना और इंजन बंद गाड़ी का न्यूट्रल करने पर घाट की तरफ चढ़ना पर्यटकों के लिए बहुत ही रोमांचक अनुभव होता है।