माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पावन पर्व 10 फरवरी को मनाया जाएगा। कुछ जगहों पर यह मतांतर से 9 फरवरी को मनाई जाएगी। नौ तारीख को पंचमी तिथि दोपहर 12.25 मिनट से लग रही है और यह 10 तारीख को दोपहर में 2.09 मिनट तक रहेगी।
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजर्स सोसाइटी के कानपुर चैप्टर के चेयरमैन और इसी संस्था के यूपी के गवर्नर पंडित शरद त्रिपाठी ने बताया कि कोई भी त्योहार उदया तिथि से मनाया जाता है। ऐसे में नौ तारीख की सुबह चतुर्थी तिथि रहेगी और पंचमी तिथि 10 फरवरी को मनाना ही बेहतर होगा।
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यह पावन तिथि ज्ञान की देवी मां सरस्वती की साधना-आराधना के लिए समर्पित है। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन से सर्दी के महीने का अंत हो जाता है और ऋतुराज बसंत का आगमन होता है।
बताते चलें कि ज्ञान, विद्या, बुद्धि की सिद्धि के लिए बसंत पंचमी को अत्यंत ही पावन तिथि माना या है। मान्यता है कि इसी तिथि के दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इस दिन कई जगह वाद्य यंत्रों की भी पूजा की जाती है। उत्तर भारत में कई लोग पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान भी करते हैं। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्त्व है।
विद्या-बुद्धि एवं परीक्षा में सफलता के लिए छात्रों को मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। सरस्वती पूजन में कलम और कॉपी जरूर शामिल करें। मान्यता है कि इस उपाय से बुध की स्थिति अनुकूल होती है। मां सरस्वती के आशीर्वाद से साधक की बुद्धि बढ़ती है और स्मरण शक्ति भी अच्छी होती है। अध्ययन में सफलता के लिए छात्रों को 108 बार ऊं ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।
पंडित शरद त्रिपाठी ने बताया कि ज्योतिष के मुताबिक, वसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के तौर पर भी जाना जाता है। इस कारण नए कार्यों को शुरुआत के लिए यह दिन उत्तम माना जाता है। इस दिन मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा, घर की नींव, गृह प्रवेश, वाहन खरीदने, व्यापार शुरू करने आदि के लिए शुभ है। इस दिन बच्चे का अन्नप्राशन भी किया जा सकता है।