वह दिन में गुमसुम रहती है। कुछ भी नहीं बोलती। शाम ढलते ही बेड से उठती है और रात जैसे-जैसे चढ़ती है, अपनी बात कहने की कोशिश करती है। बड़ी जद्दोजेहद के बाद बच्चों जैसी टूटी-फूटी आवाज में बोलती है। लोगों की बात ध्यान से सुनती है। दिन में किए जाने वाले सारे काम वह रात में करती है, पर क्यों, इसका जवाब खोजने के लिए डॉक्टर शोध कर रहे हैं । उनको अंदेशा है कि युवती रिट्रोग्रेट इम्नीजिया से पीड़ित हो सकती है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हैलट अस्पताल में पिछले तीन वर्षों से भर्ती 25 वर्षीय युवती की। सड़क हादसे में सिर में चोट लगने के बाद उसे पुलिस ने यहां भर्ती कराया था। इलाज से उसकी चोट तो ठीक हो गई पर याददाश्त चली गई। डॉक्टरों ने उसकी याददाश्त वापस लाने की बड़ी कोशिश की। संगीत थेरेपी की गई। ऑडियो रिकॉर्डर दिया गया। मनोरोग विशेषज्ञों ने भी इलाज किया, मगर कोई सफलता नहीं मिली। अभी तक इसकी बीमारी का भी सही पता नहीं चला है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर इसपर शोध कर रहे हैं।
जूनियर डॉक्टर-कर्मचारी उठाते हैं खर्च
लंबे समय से भर्ती यह महिला जूनियर डॉक्टरों और वार्ड में काम करने वाले कर्मचारियों की चहेती बन गई है। वार्ड ब्वॉय सलीम ने बताया कि उसकी जरूरत का सारा सामान जूनियर डॉक्टर, स्टाफ नर्स और कर्मचारी उपलब्ध कराते हैं। महिला अपना सारा काम रात में करती है। सफाई को लेकर बेहद सतर्क है। रात में ही नहाती है। यहां तक कि अस्पताल की दिक्कतें भी बताने की कोशिश करती है। उसकी देखरेख की जिम्मेदारी सभी लोग मिलकर उठाते हैं। सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाता है। इन सबके बावजूद डॉक्टर हैरान हैं कि महिला रात में ही क्यों बोलती है? दिन में आवाज क्यों नहीं निकलती? अब वे इस पर रिसर्च कर रहे हैं।
न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष सिंह का कहना है कि ब्रेन के जिस हिस्से में इस महिला को चोट लगी थी उसी हिस्से में मेमोरी स्टोर होती है। आमतौर पर तीन से 10 महीने के बाद याददाश्त वापस आने लगती है। कुछ मामलों में वर्षों लग सकते हैं। मगर रात में ही क्यों बोलती है, यह रिसर्च का विषय है। संभव है कि उसे रिट्रोग्रेट इम्नीजिया नाम बीमारी हो। इसमें मरीज पुरानी चीजों को पूरी तरह भूल जाता है। इस बीमारी में आमतौर पर देखा जाता है कि मरीज रात में इसलिए बोलते हैं क्योंकि रात का माहौल शांत होता है, ऐसे में मेमोरी रीस्टोर होती है और पुरानी बातें याद आने लगती हैं। जो शोरगुल में याद नहीं आती हैं।
आगरा भेजने की सिफारिश
महिला शारीरिक रूप से स्वस्थ है। लंबे इलाज के बावजूद याददाश्त नहीं लौटने पर अब उसके रहने और सुरक्षा की चिंता डॉक्टरों को सता रही है। ऐसे में उसे नारी सुधार गृह या मनोरोग अस्पताल आगरा भेजने की सिफारिश की गई है।
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यह हो सकता है कारण
रात में वातावरण शांत होता है। ऐसे में मनोरोगी और याददाश्त खो चुके लोगों के दिमाग में हलचल होती है। उन्हें कुछ चीजें याद आती हैं और वे उसी अनुसार काम करते हैं। इसीलिए कुछ मनोरोगी रात में बड़बड़ाते हैं।
हैलट अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंह- महिला का इलाज पूरा हो चुका है। वह पूरी तरह ठीक है। याददाश्त नहीं लौटी है। उसे क्या बीमारी है, यह रिसर्च का लम्बा विषय है। इस बीच उसे महिला शरणालय भेजने की कोशिश की जा रही है।
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. रवि कुमार – संभव है कि चोट की वजह से महिला मनोरोगी है। काउंसिलिंग से याददाश्त लौट सकती है। कभी-कभी लम्बे समय तक रिकवरी नहीं हो पाती है। परिवार के लोग मिल जाएं तो संभव है कि जल्द ठीक हो जाए।