एएफसी एशिया कप फुटबॉल चैंपियनशिप में भारतीय टीम अपने दूसरे सबसे बेहतर प्रदर्शन से सिर्फ एक जीत दूर है। थाईलैंड पर ऐतिहासिक जीत दर्ज कर भारतीय टीम ने यह जता दिया है कि वह किसी से कम नहीं हैं। भारत का अगला मुकाबला ए ग्रुप की सबसे मजबूत टीम और मेजबान यूनाइटेड अरब अमीरात से 10 जनवरी को होना है। आंकड़ों के लिहाज से यह भारत से बेहतर टीम है, लेकिन पहले मैच में भारतीय टीम के खेल ने एशिया के अव्वल टीमों को सावधान कर दिया है। 1964 में भारतीय टीम उपविजेता बनीं थी। 1984 एशिया कप में भारत पहले दौर से ही बाहर हो गया था। वहीं 2011 में एक भी मैच नहीं जीत पाया था। लिहाजा अगर यूएई को भारतीय टीम हराती है तो नॉक आउट दौर में प्रवेश कर जाएगी। 1968 तक एशिया कप में ग्रुप स्टेज के मुकाबले नहीं हुए। इसके बाद ग्रुप स्टेज बनाकर मुकाबले हुए।
भारत ने आखिरी बार यूएई को 1988 में दी थी मात
भारतीय टीम की अग्रिम पंक्ति के साथ ही मध्य और रक्षा पंक्ति ने भी थाईलैंड के खिलाफ अपना बेहतर प्रदर्शन किया। वहीं टीम के कप्तान सुनील छेत्री के जीत के बाद दिए बयान से खिलाड़ी उत्साहित हैं। उन्होंने कहा था कि वह गोल या रिकॉर्ड के लिए नहीं बल्कि जीत के लिए खेल रहे हैं। पहले मैच में भारतीय टीम लय में दिखी। ऐसे में यूएई के साथ होने वाले मैच में जीत के लिए भारतीय टीम एड़ी चोटी का जोर लगा देगी। यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) से भारत ने दोस्ताना और विभिन्न टूर्नामेंट्स में अब तक 12 मुकाबले खेले हैं, जिसमें यूएई ने 8 और भारत ने 2 मैच जीते हैं। दो मैच ड्रॉ रहे हैं। यूएई से भारत 1988 में आखिरी बार एफएफसी एशिया कप क्वालीफिकेश मैच में जीता था। इस मैच में भारतीय टीम ने यूएई को 3-0 से करारी शिकस्त दी थी। इसके बाद टीम को यूएई के खिलाफ जीत नसीब नहीं हुई।
यूएई से 12 मुकाबलों में सिर्फ 2 बार ही जीता है भारत
ऐसे में यूएई से जीत दर्ज कर भारत 30 साल पहले के इतिहास को भी दोहराना चाहेगा, लेकिन भारतीय टीम को इस उपलब्धि तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत करनी होगी। पूर्व अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर अनादि बरुआ बताते हैं कि भारतीय टीम ने पहला मुकाबला जोरदार तरीके से जीता है। ऐसे में यूएई के खिलाफ होने वाला मुकाबला रोमांचक हो सकता है, लेकिन यूएई सभी पहलुओं से भारत से मजबूत टीम है। ऐसे में 10 जनवरी को होने वाले इस मैच का इंतजार करना चाहिए।